साईडलुक, जबलपुर। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की जांच कर रही स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने जिला अस्पताल विक्टोरिया पर अपना शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। बुधवार दोपहर प्रकरण की जांच में जुटे एसटीएफ के डीएसपी ललित कश्यप की अगुवाई में पहुंची टीम ने देर रात तक सर्चिंग कर रेमडेसिविर इंजेक्शन संबंधी पूरे रिकॉर्ड तलब करते हुए उनकी जब्ती बनाई। एसटीएफ टीम की ताबड़तोड़ कार्रवाई को देखते हुए अधिकारी-कर्मचारियों में हड़कंप का माहौल निर्मित रहा।
हर दर्जगी का होगा भौतिक सत्यापन
गौरतलब है कालाबाजारी में विक्टोरिया अस्पताल की भूमिका उजागर होने के बाद टीम जांच में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसके लिए बकायदा हर वह शख्स जिसके नाम पर दर्जगी करते हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी किए गए थे उसका भौतिक सत्यापन कराया जाएगा।
फर्जीवाड़े कर बेधड़क बांटे इंजेक्शन
एसटीएफ सूत्रों की मानें तो अस्पताल के जिन कर्मचारियों को पूर्व में दबोचा गया है उनके द्वारा कई अहम जानकारियां उपलब्ध कराई गई है। बताया जाता है कि कुछ नामचीन अधिकारियों ने अस्पताल में पहचान संबंधी दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर उन लोगों के नाम पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन बांटे जिनको कोरोना नहीं था।
नामचीन समेत गुर्गे होंगे उजागर
गौरतलब है कि विक्टोरिया अस्पताल में कोरोनाकाल में रेमडेसिविर इंजेक्शन से लेकर आरटीपीसीआर में पॉजिटिव-निगेटिव रिपोर्ट में लंबा खेल किया गया है। अगर एसटीएफ इस मामले की बारिकी से पड़ताल करेगी तो वाकई में अस्पताल में वर्षो से जमे डॉक्टर, नामचीन अधिकारी और उनके गुर्गे बेनकाब होंगे।
फर्जी डिग्री बनाने वाला गया जेल
वहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में पकड़ाए झोलाछाप डॉक्टरों के लिए चिकित्सा की फर्जी डिग्री बनाने वाले दमोह निवासी रवि पटेल को एसटीएफ थाना भोपाल में पूछताछ के उपरांत भोपाल न्यायालय में पेश किया गया। जिसे न्यायालय ने भोपाल जेल में रखने का निर्देश देते हुए जेल भेज दिया गया।
इनका कहना है:
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में कौन-कौन लिप्त है इसकी जांच चल रही है। विक्टोरिया अस्पताल से भी कई दस्तावेज बरामद किए गए है जिनकी तस्दीक कराई जा रही है। वहीं बीएएमएस वालों को प्राइवेट अस्पताल में बतौर आरएमओ पद को लेकर सीएमएचओ से जानकारी मांगी गई है।
- नीरज सोनी, एसपी ईओडब्ल्यू