नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कथित राजद्रोह को लेकर दो तेलुगु समाचार चैनलों टीवी 5 और एबीएन आंध्रज्योति के खिलाफ आंध्र प्रदेश पुलिस के कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर सोमवार को रोक लगा दी। समाचार चैनलों ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद के रघु राम कृष्ण राजू के आपत्तिजनक भाषण का प्रसारण किया था। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक विशेष पीठ ने इन चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। इन चैनलों के खिलाफ राजद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उस प्राथमिकी से संबंधित समाचार चैनलों के कर्मचारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। न्यायालय ने कहा, 'हमारा मानना है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों – 124ए (राजद्रोह) और 153 (विभिन्न वर्गों के बीच कटुता को बढ़ावा देना) की व्याख्या की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, ''खासकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर।'' यह आरोप लगाया गया है कि राजू के प्रेस बयानों को प्रकाशित करने को लेकर चैनलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। सर्वोच्च अदालत ने इसी मामले में राजू को पहले ही जमानत दे दी है।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कथित राजद्रोह को लेकर दो तेलुगु समाचार चैनलों टीवी 5 और एबीएन आंध्रज्योति के खिलाफ आंध्र प्रदेश पुलिस के कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर सोमवार को रोक लगा दी। समाचार चैनलों ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद के रघु राम कृष्ण राजू के आपत्तिजनक भाषण का प्रसारण किया था। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक विशेष पीठ ने इन चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। इन चैनलों के खिलाफ राजद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उस प्राथमिकी से संबंधित समाचार चैनलों के कर्मचारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। न्यायालय ने कहा, 'हमारा मानना है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों – 124ए (राजद्रोह) और 153 (विभिन्न वर्गों के बीच कटुता को बढ़ावा देना) की व्याख्या की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, ''खासकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर।'' यह आरोप लगाया गया है कि राजू के प्रेस बयानों को प्रकाशित करने को लेकर चैनलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। सर्वोच्च अदालत ने इसी मामले में राजू को पहले ही जमानत दे दी है।