एमपी में एक्सीडेंट में मौत होने पर गैर इरादतन हत्या की धारा लगाने का पीटीआरआई ने पुलिस अधीक्षकों को भेजा सुझाव


भोपाल।
पीटीआरआई जो पुलिस का एक शोध संस्थान है उसके एडीजी डीसी सागर ने कहा यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। क्योंकि सभी लोगों की जिंदगी अनमोल है। सभी को ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए। यदि कोई दुर्घटना हो गई और उसमें मृत्यु होती है तो उस प्रकरण की विवेचना एक मर्डर के मामले की तरह फॉरेंसिक साइंस दृष्टिकोण से होनी चाहिए। तकनीकी दृष्टिकोण से होना चाहिए। नक्शा मौका ढंग से बनना चाहिए। साक्षी सही होना चाहिए और विवेचना को लेकर जो गंभीरता हत्या जैसे जघन्य अपराधों में होती है वही गंभीरता ऐसे हादसे में होनी चाहिए। डीसी सागर ने बताया कि यदि गंभीरता से विवेचना करेंगे तो साक्ष्य के आधार पर आरोपियों को कड़ा दंड मिलेगा और यदि दंड मिलते हैं तो जो लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते उनके अंदर ही भाव आएगा कि गाड़ी संभलकर चलाना है वरना सजा हो सकती है। अधिकांश सड़क हादसों में लापरवाही से वाहन चलाने की धाराओं में एफ आई आर होती है। ऐसी धाराओं में एफआईआर होने से आरोपी या तो थाने से मुचलके पर छूट जाता है या फिर कोर्ट से उसे आसानी से जमानत मिल जाती है। लेकिन यदि गंभीरता से जांच की जाए और पुलिस हत्या के समान दंड वाली गैर इरादतन हत्या की धारा लगाए तो आरोपियों को कड़ी सजा मिल सकती है। लेकिन ऐसे मामलों में सजा दिलाने के लिए पुलिस को गंभीरता से जांच करनी पड़ेगी और मर्डर के केस की तरह साक्ष्य जुटाना पड़ेगा। क्योंकि मर्डर जैसे मामले में सबूत जुटाने में काफी गंभीरता और मेहनत लगती है। मध्यप्रदेश में पीटीआरआई के उस निर्देश और सुझाव पर यदि अमल होता है तो एक्सीडेंट में होने वाली मौत के मामलों की जांच भी हत्या की जांच की तरह ही होगी। यानि पुलिस जिस तरह हत्या के मामलों की जांच करती है ठीक उसी तकनीक का इस्तेमाल रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों के मामले में किया जाएगा। इसके पीछे मकसद ये है कि हत्या के मामले में जिस तरीके की सजा होती है, यदि वैसी ही सजा रोड एक्सीडेंट के मामलों में होने लगे तो लोग संभलकर गाड़ी चलाएंगें। दुर्घटनाओं में कमी आएगी और जनता में एक सकारात्मक मैसेज जाएगा।