क्या नौकरशाहों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं!


मंडला ब्यूरो। हाल ही में मंडला जिले के कलेक्टर जगदीश जटिया एकाएक सुर्खियोंम आग ए सोशलमीडियास ल करटीवी- यूज चैनलों में उनकी चर्चा हुई कारण सिर्फ इतना था कि उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति जाहिर की थी लेकिन दुर्भाग्य कहेंगे कि अभिव्यक्ति की आजादी देश के नेताओं और युवा छात्र नेताओं को है किसी बुद्धिजीवी आईएएस को नहीं आखिर ऐसा क्यों यह सोचनीय है हिंदुस्तान के टुकड़े होने हिंदू मुस्लिम की आग लगा कर देश को बर्बाद करने वाले नेताओं को अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करने की खुली आजादी है तो वहीं बुद्धिजीवी शिक्षित नौकरशाहों को क्यों सत्ता की कठपुतली बनाकर रख दिया है मंडला कलेक्टर डॉ जगदीश चंद्र जटिया सोशल मीडिया से निकलकर नेशनल मीडिया की सुर्खियों में आ गए उनकी एक पोस्ट और एक प्रतिक्रिया इतनी व्यवस्थित हुई कि पहले उन्होंने अपनी पोस्ट डिलीट किया फिर पूरा फेसबुक अकाउंट ही रिमूव कर दिया मामला नागरिक संशोधन बिल और फिल्म छपाक से जुड़ा था जिस पर इस समय सियासत गर्म है कलेक्टर महोदय ने सिर्फ इतना लिखा था कि मैं नागरिक संशोधन बिल और एनआरसी का सपोर्ट नहीं करता हूं और दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक का समर्थन किया था जिसका लोगों ने विरोध किया था लेकिन सोशल मीडिया पर कलेक्टर साहब की अभिव्यक्ति से माहौल इतना गरमा गया की वह नेशनल मीडिया और समाचार पत्रों के निशाने पर आ गए अब ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सिर्फसियासत दानों सत्ता देशों के इशारे पर ही काम कर सकते हैं और उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।